Thursday, November 7, 2019

Aaj ka kalam


Aaj Ka Kalam 
Aaj ka kalam bas itna hi likhega 
kar rhe hai aaj aage ab kaisa chalega 

Ram Ram hai chillate aur kaam hi nahi hai 
Hindu Muslim ke siva juba par nam hi nahi hai 

Khair vo to hai kaali andhi ki sarkar
Vyapaar kar rhi hai par tu to nahi lachhar

Aachaar aur sanhita ki tum baat bhule baithe ho 
Mar rahe jawan tum ayodhya par jhule baithe ho


Virodh me kuch kehna aur likhna hi nahi hai
Aajadi chhin gayi aur saale hath malte baithe ho 

Ameeri garibi me ab fas rhe log
Jinki galti hi nahi hai vo rhe bhog

Sanjog hai aisa ki saare jhuthe hi bhare hai
Kaale paiso ki line me sabse aage vo khade hai 

Nikaal rhe murdo ko jo saalo se gade hai
Bhrastachaar ki ladayi me vo jid par ade hai

Barbaadi me desh ki hamara bhi hath rahega 
Pehle pani ab hawa, prakriti kitna aur sahega 

Ram jo banna hai to pehle kaam se bano
kam nahi to bhakti aur samman se bano

Denge gaali tumhe tumhare hi sare vans
Kahenge dharti hai krishn aur hm unke kans
-your ashish

Thursday, August 22, 2019

Bachpan me hi rehna tha बचपन में ही रहना था


Bachpan me hi rehna tha 

बुझते दिये को रौशन करना था
मुझे बचपन में ही रहना था

वो हकिमों सा इलाज करते रहे
बात यह थी कि मुझे बीमार रहना था

ऊचाईयों के सपने दिखाने लगे सारे 
मुझे उसी उंचाई में पतंग उडाना था 

दुनिया की सफर करके क्या कर लेता आखिर
बनायी कागज की नाव पर सवार होना था 

न साइकिल न खिलौने न दौलत चाहिये थी
मुझे बस प्यारी माँ के आँचल में रोना था

Monday, July 29, 2019

मिट्टी का खिलौना a sad toy





मिट्टी का खिलौना

मैं मिट्टी का खिलौना हूँ 
जो बाहर से सख्त है 
लेकिन भीतर से कमजोर हूँ 
जरा याद रखना दर्द मुझे भी होता है 

जो भी आये मुझसे खेल जाये
दिल भरने पर खुले में छोड़ आये
अब तुझसे मिलने का खौफ होता है 
जरा याद रखना दर्द मुझे भी होता है 

ठीक उस खिलौने की तरह बेबस और बेकार हुँ
सच सामने है मगर झूठ बोलने को लाचार हुँ 
खुद मिट्टी हुँ अब तूझे इसमे मिलाने का एहसास होता है 
जरा याद रखना दर्द मुझे व होता है 

मत सजाओ न निखारो मुझे बार बार
मै अकेला ही ठीक हुँ, खुश हुँ 
खुशी देने के नाम पर हक छिन लेते हो बार बार
तेरे इन हरकतो से मेर खुन खौलता है 
जरा याद रखना दर्द मुझे भी होता है


Saturday, July 6, 2019

tujhe yaad karne me

TUJHE YAAD KARNE ME
तूझे याद करने में


"तेरे इश्क की चाहत कुछ इस तरह रही,
कि सबको भुल गया तूझे याद करने में। 

आंखो मे सन्जोये थे कई सारे सपनें,
उनको आंसुओ मे बहा गया तूझे याद करने में। 

कहना बहोत कुछ था तुमसे जब फासले बढ़ गये,
बस जुबां  रूठ गयी तूझे याद करने में। 

जिन्दगी जीने का बेसुमार शौक था मुझे,
अब यूँ ही कट रही है तूझे याद करने में। 

शब्दों को सहारा बना लिया है उस लठ की तरह,
 और बेवफाई लिख न पाया तूझे याद करने में। 

बारिशों की उन बुंदो मे तेरी झलक देखता हूँ,
बस भींगना भुल गया तूझे याद करने मे।"

Tuesday, February 26, 2019

Air Surgical strike poem हिन्दुस्तान का बदला



"जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा" 

किस्से बहुत याद आयी होगी तुम्हें भी
जब हम सो रहे थे तुम सो रहे थे
तब जागा था कोइ तेरे लिये 
उस कुकर्म के बदले के लिये 
जब आसमान तेरा गरजा होगा
रात में जब इन्द्रवज्र चमका होगा
गलतियों का एहसास हुआ होगा तुम्हें भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा

वो बम के गोले नहीं हमारा क्रोध था
जो कई दिनों से छुपा अन्दर मदहोश था
आँखो से बहा वो रक्त्, उस वीर माँ की तडप 
पीछे लगी खन्जर का प्रतिकार था
पापियो को ये यकिन ना था की ऐसा हमारा बदला होगा
गुमनाम रात का खौफ हुआ होगा तुम्हे भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा

लगायी आग जो तुमने हर किसी के दिल में 
हमारी जिम्मेदारीयो का एहसास दिला दिया
छुप कर बैठी, दुबक कर बैठी
व्यस्त और सोयी देशभक्ति जगा दिया
अधर्म में धर्म के जीत का पैगाम है 
जले थे और जलते रहोगे
ये उस आग का परिणाम है 
सोच तेरे ही लगाये आग मे तेरा मुल्क कैसा भड़का होगा
ये सत्य कड़वा लगा होगा तुम्हें भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा

हम नामर्द नहीं है तेरी तरह, इतना होने के बाद भी
हम में इन्सानियत अभी बचा है 
कई बेकसुर मासुम और पाक लोग है तेरे मुल्क में भी
इसलिए तेरा पाकिस्तान अभी बचा है 
वैसे तुमने जो काम किया है 
तुझे बर्बाद करना था उस किस्से से
बस वहाँ उस माँ की भी ममता याद आ गयी
वरना मिटा देते मानचित्र के हिस्से से
कल्पना कर तेरा बचाया आतंकी कैसा तडपा होगा 
ये बात अब तक समझ आ गयी होगी तुम्हें भी 
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा..

जय हिंद जय भारत 



Follow me for more update 
.

Monday, February 25, 2019


"Phir se "

"फिर से "



Aaj yaad aa gyi tu phir se 
आज याद आ गयी तु फिर से
Jab ghane badal the sar par 
जब घने बादल थे सर पर 
Nami thi thodi aur suhana mausam tha phir se
नमी थी थोड़ी और सुहाना मौसम था फिर से
Itezar tha sabhi ko us barish ka 
इंतजार था सभी को उस बारिश का
Aur mujhe bhingne ka phir se
और मुझे भिन्गने का फिर से

Garaz garaz bataye ja raha tha baadal
गरज गरज बताये जा रहा था बादल
Ki tu aane wali hai aur satane wali h
कि तु आने वाली है और सताने वाली है 
Soch rha tha wahi purani baatein
सोच रहा था वही पुरानी बातें 
Aur andar se hase jaa rha tha phir se
और अन्दर से हंसे जा रहा था फिर से

Mitti ki saundhi khusboo
मिट्टी की सौन्धि खुशबू 
Aur madhyam sa pawan
और मध्यम सा पवन
Aahte tere aane ki, aur 
आहटे तेरे आने की, और
Mera akelapan bade dino baad
मेरा अकेलापन बड़े दिनों बाद
Sataye ja raha tha phir se
सताये जा रहा था फिर से 

Teri hatho ki vo narmi
तेरी हाथो की वो नरमी
Teri baato ka mithapan
तेरी बातों का मीठापन
hasnuma vo chehra
हंसनुमा वो चेहरा
Sarartein aur awarapan
सरारते और अवारापन
Bada betaab kar rha tha phir se
बड़ा बेताब कर रहा था फिर से


sukun teri bahon ka
सुकुन तेरी बाँहो का
Angdaayian teri kalaiyon ka
अन्गड़ाइयां तेरी कलाईयो का
Late teri julfo ka
लटे तेरी जुल्फ़ो का
kajal teri palko ka
काजल तेरी पलको का
Badi naakhun aur tere gaal
बड़ी नाखुन और तेरे गाल
Adayein, lachak hayee teri chaal
अदा, लचक हाय तेरी चाल
Aaj bulaye ja rha tha phir se
आज बुलाये जा रहा था फिर से

Raaz teri jaane ka 
राज तेरी जाने का
Tujhe khone ka nahi hai gam
तुझे खोने का नहीं है गम
Na koi aanshu na teri yaad 
ना कोइ आन्सु ना तेरी याद
Khus hu  nahi koi adhurapan
खुश हूँ नहीं कोइ अधुरापन
Apne dil ko ek baar aur
अपने दिल को एक बार और
Jhuth bataye ja raha tha phir se
झूठ बताये जा रहा था फिर से

Koi irada to nahi tha na man aur na wajah 
कोइ इरादा तो नहीं था न मन और न वजह
Bas un hi 
बस युं ही
Aaj yaad aa gyi teri phir se
आज याद आ गयी तेरी फिर से





Foll




Tuesday, February 19, 2019

insaaniyat



Insaaniyat 

Raat kaali thi kaala tha manzar 
Kaala tha din aur kaala bawandar 
Bujh gye diye par fir v roshan kar gya vo
Marte marte anant karz de gya vo 

Kon chukayega karz aur chukayega kaise
Kaali dharm ki aandhi hai saamne
Kaali rajneeti ki roti hai saamne
Kaun suljhayega paheli ko suljhayega kaise 

""Hindu muslim sikh ishayi
Aapas me hum bhai bhai""
Padh padh bita tha bachpan hamara
Bachpan khoya koi baat nai 
Padhi baate bhul gya desh hamara

Maa ro rahi h pita abhi sambhla bhi nahi h 
Vo crore mombattiyan abhi pighli v nahi h 
Jai hind bol aaya vo saheed ka beta
Paalti maar dhang se baitha bhi nai h 
Ki apne rang dikha diye humne
Jimmedari jab khud ki aayi 
To hath jawano ko thama diye humne

kosis kr rha tha samjhane ki
Dharm dharm mt kar
Bhul gya tu vo 200 saal angrejo ka atyachaar 
Ab to hindu muslim mt kar 
Kaha usne ki tujhe akal nahi, apne hi dharm k khilaf ho
Jisne pala jisne sikhaya sab kuch, usi imaan k khilaaf ho 

ye baar baar mere dil ko cheer gya 
Kya main galat hu mera dil mujhse bol gya 
Dekhne k liye do aankho ki jarurat  h
Najariya k liye ek aankh ki jarurat h
Mujhe garv h khud par ki chah kar v
Meri dono aankh nahi khulti
Aur mujhe abhimaan hai is dil ki
Jo lakh baar kahne par v ye dharm me nai ghulti


Holi diwali eid christmas guru govind singh jayanti..  
Bas ek chhota sa sawal h.. Puchta hu
Ye sab jo manaye vo dharm khojta hu. 



Yaad karo un veero ko
Vo bediya aur janjiro ko 
Ab to soch badal lo yaaro
Kitne maare gye desh k pyaro
Kuch to alag kar kuch to naya hal nikaal
Kaleje ko faad aur insaaniyat bahar nikaal 

Saturday, February 2, 2019

कब तक?

बढ़ाते चलो कदम्, कब तक? 
 मंजिल मिल नहीं जाती तब तक 
जमाना बदलेगा समय बदलेगा
मगर भुलना नहीं है
साथ छुटेगा नये लोग मिलेंगे 
मगर रुकना नहीं है, कब तक? 
मंजिल मिल नहीं जाती तब तक

यादों का बवन्डर मिलेगा
रिश्तो का समंदर मिलेगा
मगर उलझना नहीं है 
कुछ नये मिलेंगे कुछ पुराने मिलेंगे 
उन राहों को समझना है
और समझाना है, कब तक?
मंजिल मिल नहीं जाती तब तक

तुम भी बिछ्डोगे, तुम भी हारोगे
कहिं ज्यादा तकलीफ होगी
आँसु बहेंगे खुन खौलेगा
उर्जा भी नष्ट होगी
मगर हार मानना नहीं है, कब तक? 
 मंजिल मिल नहीं जाती तब तक 


Thursday, January 31, 2019

खामोशी.( khamoshi )


खामोशी.. .

क्या है खामोशी?..
बताता हूँ 

खामोशी एक रंग है जो खुद में सफैद है 
खामोशी वो आजादी है जो खुद में कैद है 
खामोशी राग है एक षड्यन्त्र है 
ये रीत है प्रित है एक सन्कल्प है 


कैकेयी की खामोशी ने दशरथ को मार डाला
भरत को राज और राम को वनवास दे डाला
खामोशी वो सर्वश्रेष्ठ पुत्र श्रवण कुमार है
खामोशी खुद क्रोधित ब्राह्मण परशुराम है 

खामोशी वो वाक्य है जो अधुरी कहानी  बयान करती है 
खामोशी वो आवेश है जो क्रोध को नया करती है 
खामोशी जीने की क्षमता है
और खामोशी प्यारी माँ की ममता है 

जैसे बातो के बीच न बताने का सन्केत 
भरी आँखो में दर्द का संकेत 
लाल आँखो मे क्रोध का संकेत 
बन्द आंखे सहनशक्ति का संकेत 

खामोशी प्यार है क्रोध है अभिमान है 
खामोसी नाराजगी भय और सम्मान है 
खामोशी जिन्दा रखने वाला जहर है 
खामोशी सुनामी की पहली लहर है 

खामोशी माथे पर उभरी वो रेखा है 
ये सर्वपरिस्थिति देख अनदेखा है 
खामोसी एक प्रकाश है जो अन्दर काली है 
खामोशी वो कपास जो खुद में भारी है ....




Tuesday, January 29, 2019

गुजरा वक्त ( gujra wakt)



 गुजरा वक्त.. 

उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो
कुछ ख्वाहिशे हुई पुरी कुछ अधुरा रह गया हो
उम्मीदे मिली या बिखर गया हो
सांसे चले या सम्भल गया हो
उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो

सर्दी आ कर चली गयी या बर्सात होने को हो
पुराने दोस्त मिले या बिछ्ड़ गया हो 
लगता है जैसे सब कुछ नया हो
होना वही है जो किस्मत में लिखा गया हो
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

छोटे थे तो बड़े होने का दिल करता था
चाहे गम मिली या अचानक खुशियाँ मिली हो
समंदर किनारे बैठ यारों के साथ गप्पे लडाना हो
ये ख्वाहिश अभी भी दिल के किसी किनारे में पड़े है
चाहे कितना भी बड़ा हो गया हो
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

चाय की वो चुस्की या वो कुरकुरी बिस्कुट का रंग 
किसी खुली जगह मे किसी का साथ हो या ना हो
बदलते दुनिया की बात कर के वक्त बदल गया हो
जो पहले रोने के साथ होते थे
आज खुशी पर भी शरीक न होता हो
आकर हाथ मिलाये या सीने से लिपट गया हो 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो

जब किताब का बल्ला और कागज़ की गेन्द होता था
चाहे क्लास खाली हो या पुरा भरा हुआ हो
भीड़ में बेसुरो का साथ होता था
चाहे वो घर हो या रोड पर चलते कदम हो
याद नहीं करता मैं ये सब और करू भी क्यों 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

नानी की या दादी की पुरानी प्यारी कहानियाँ हो
प्यार से कोर भर कर खिलाने वाली वो माँ का हाथ हो
हर चीज पर भाई या पापा की डान्ट हो
और वो छिप कर पैसे देने वाले वो रिस्तेदार हो
जिन्दगी अब बनी हो या निखर गया हो 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो

कच्चे आम हो या अमरुद पर नमक का वो स्वाद हो
खेल छुप्पन छुपाई हो या कबड्डी का वो लड़ाई हो
अन्धेरे में आंख बन्द करके किसी को खोजना हो
या खाना बनने से पहले प्लेट लेकर बजाना हो
अपनी छोड़ भाई की पुड़ीया चुराना हो
बातों को मिलाना या फिर पलट गया हो 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

स्कुल का वो ड्रेस कोड हो या 26 जनवरी की परेड हो
क्लास छोड़ कर बाहर घुमना जब कोई  प्रोग्राम हो
इतिहास का वो निन्द हो या देशभक्ति गीत हो
मेज पर अपना नाम हो या हर साल नये नये किताब हो 
याद आ कर मुस्कुराना हो या सिहर गया हो 
उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 






Haan badal gya hu.. 


Han badal gya hu.... 
Pehle bahot nind aati thi 
Ab saari raat jaag kr bitate hai 
Pehle phone se koi rista nai tha
Ab wahi oxygen ban gya hai
Han badal gya hu...
Pehle smile sabhi k liye krte the 
Ab sirf tumhe yaad krke muskurate h 
Pehle samay kat nai rha tha 
Aur ab kam pad jata h 
Han bilkul badal gya hu main..
Pehle na mirror aur na baal 
Aur abhi ek pehar apne aap me tumko dekhta hu 
Bola to ki badal gya hu. .

Pehle sabko hasna sikhate the 
Aur ab kabhi khud ro lete h.. 
Pehle saam subah ghuma krte the 
Aur ab kisi room k kone me baithe rehte h
Pehle na koi security tha na password mobile me 


Aur ab har file aur photos me password hai 
Hmmm badal gya hu main,
Pyar pehle sab se krte the 
Aur ab bas tumko. 
Bas badal gya hu. .. 








Sunday, January 27, 2019

SMS a love story





   एस. एम. एस. (SMS) 

मोहब्बत एक ऐसा शब्द जिसे देख कोइ भी मुस्कुरा जाये..


काफ़ी दिनो बाते हुई 
आज मुलाकात का दिन था
बाते हुई थी bus stand मे आने कि क्योंकि 
आज एक सफ़र का दिन था
कहाँ जाना है कैसे जाना है न था कोइ राह
जा पहुंचा दो घंटे पहले इतना था उत्साह

फिर बजी फोन की घंटी, मुझपर ज्यादा गुस्सा न करना
निकल रही हूँ घर से थोड़ा इन्तजार करना
मैं करता क्यों गुस्सा, जिन्दगी तो पहले से अन्धेर थी
आज कह दूँगा दिल कि सारी बाते बस मिलने की देर थी

अचानक मेरा नाम गुंजा उसके मधुर आवाज से
बिना देखे कायल हो गया बस उसके पुकार से
वैसा जैसे फ़िल्मो मे होता है 
जैसे सब रुक जाता है 
जैसे गाने गाया गाता है 
जैसे बिन मौसम बरसात होता है.
. ये सब कुछ वो दो पल मे हो चुका है

चले आ रही है मेरी तरफ़ वो धीरे धीरे
काश थम जाता वो पल धीरे धीरे
चलो कह कर वो बस में बैठ गयी
मेरा चैन होश सब ले कर बैठ गयी
पहली बार बैठा था कोइ साथ मेरे
पहली बार वो पांच पतली उंगलिया थामे था हाथ मेरे

तिरछी नजर से बार बार उसे देखा था हमने 
उसके नज़रो से खुद को बचाया था हमने
वो साहस भरी जिन्दगी में वो लय कैसा था
कहने आया था तो सबकुछ ,पर वो डर कैसा था

हटाकर अपनी नजरे आगे की टी. वी पर दे डाली
फ़िर बित गये पल आन्खे दिखाकर गुस्से में वो बोली

फ़िल्म देखने आये हो तो अकेले आ जाते 
और देखना था साथ में तो PVR ले जाते
मुझको बिना देखे उधर देखे जा रहे हो
लगता है वो फ़िल्म मुझसे ज्यादा खुबसुरत है 
तभी तो मुझसे आंखे चुराये जा रहे हो

अब कैसे बताऊ मैं उसे कि मेरा हाल क्या था
नज़रे तो थी आगे, दिमाग कहिं और था
फ़िर अब हुई बात शुरु वो सब बताने लगी
कैसे वो बचपन में बड़ी प्यारी थी
माँ बाबा दादी सबकी दुलारी थी
कैसे उसने बचपन में उसने सबको तन्ग किया
बड़े होकर अपने कामों से सबको दन्ग किया
न कोइ भाई न कोइ कमाने कमाने वाला
क्या करना है जिन्दगी में ये बताने वाला
जिंदगी कुछ खास नहीं थी बस भोला भाला था
उसने छोटे उम्र में ही अपने घर को सम्भाला था

कहकर उसने चुप्पी दे डाली अब तु बता,
क्या कहना था, बता कुछ अपने बारे मे...अब तु बता 

दुनिया भर की बाते बोलकर सोच रहा था यह कहने की
आज तक कोइ मिला नहीं तेरे जैसा 
पर हिम्मत न हुई ये कहने की
अब मन्जिल मेरी कुछ ही दुर था,
कैसे कहुँ क्या कहुँ मन में यही सुरुर था,
अन्त में मुस्कुराते हाथ थामें कह डाला,
दिल में भरी थी बात, जो कहना था सदियों से
बड़ी हिम्मत से कह डाला 

नजरअन्दाज कर उसने ऐसी बात बोली थी,
फ़िर से बचपन की वो बातें,
ये हुआ वो हुआ जैसे बहुत वो भोली थी 
गुस्से में हमने भी उनसे नजर फ़ेरा था
जब कह दिया उसने, कि कोइ था मेरा भी
जो सिर्फ और सिर्फ मेरा था :(
अब उसके साथ नहीं मैं न ही कुछ बताना है
रो धो कर कि गलती मेरी नहीं उसकी है
मुझे ये नहीं जताना है

धक्के से फिर गाड़ी रुकी मैं मुस्कुरा कर निकल गया 
थोड़े देर में ही महसुस हो रहा था जैसे
हाथों में थामें वो रेत फिसल गया 

किससे कहता ये सब बाते.. कैसी है ये जिन्दगी
चलते चलते बैग में रखी फिर फोन बजी
वो राहत का एक SMS  था
तुम बहुत अच्छे हो बस ये SMS था
जा रहे थे तो मुड़ कर देखा भी नहीं 
मैं इन्तजार कर रही थी मुड़ने का ये SMS था
कैसे साथ बिताया वो पल उसे अच्छा लगा था
थामे वो हाथ अच्छा लगा था, था जिन्दगी में कोई और
सदियों बाद आज फिर कोई अच्छा लगा था.. 

निचे कहिं कोने मे एक और SMS था...... 
था प्यार का इजहार बस यही SMS था....  :)

Saturday, January 26, 2019

Kyon tumse pyaar kar baitha

Pyar kar baitha main. 

Galti se galti kr baitha main
 kyu tumse pyar kar baitha main
Khub hasayi khub rulayi
Raato ki fir nind churayi
Ant me kamiyan batlayi

Fir v behisaab kar baitha main
Kyu tumse pyar kar baitha main

Subah ki boli raat ki boli
Thi antar dono me bahot badi
Beet ta gya saam aur beet ta gya din
Fir na vo ruki na pyari ghadi

Kaise jindagi nazarandaaj kar baitha main
Kyu tumse pyar kar baitha main

Ab dhundhta fir rha hu khud ko
Khud me khud ko, aayne me khud ko
Khud ne khud se kaha ye kya kr gye tum
 sath chalte chalte u akele kaha aa gye tum

Khud se khud ko kho baitha main
Kyu tumse pyar kar baitha main

Na himmat h jawab dene ki 
Na chhamta h aage jaane ki
Lagta hai jaise saare darwaje band ho gye 
Bhid me baithe akela ho gye 
Vo pal vo khushiyon ka samandar tha 
Kuch karne ka jajba mere andar tha

Kaise vrindawan ko shamsaan kr baitha main
Kyu tumse pyar kar baitha main 

Jindagi jeene ki chaah fir jaagi h 
Sare bojh uthane ye ek baar ye fir raaji h 
Naya rang naya umang naya josh hai
Fir v kahi kone me ye afsos hai
Kitni pyari hai ye jindagi.... 

Fir kyu daaw laga baitha main
Kyu tumse pyar kar baitha main

Friday, January 25, 2019

Small message for Republic day..


Ab hum sab taiyaar hai 


Teen rang ka vo tiranga aaj chaaro aur
 dikhega
Dikhegha deshbhakti bhaichara,
samman bharat ka dikhega 

Fir dub jayegi suraj k sath apni deshbakhti
Mit jaayegi hamaari palko par saji
 vo teen rang
Andhere me gumnaam ho jayegi vo sahadat


Bahre ho jaayenge kaan kisi ki awaaj sunne k liye 
Kat jaayenge haath kisi sachhai se ladne 
k liye
Band ho jayega vo muh apne haq me bolne 
k liye
Thak jaayenge pair kisi ke sath chalne
 k liye 


Utaar daalo apne chehre se us nakaab ko 
Jis nakaab k piche apne hi desh se gaddari karte ho
Kuchal daalo apne dono haath ko
Jis haath se asli  hero par pathhar baaji 
krte ho
Vyarth h vo aankhe jisse sabkuch dekh kr v 
Andekha krte ho 

Jise bas apni beti beti samajh aati ho
Jise bas apni behen behen Nazar aati ho
Jise bas apna pariwar pariwar nazar aata ho

Vo na deshbhakt h aur na hi use yaha rehne ka adhirkaar h.. 
Use yaha to kya.. Prithvi ki kisi v gollardh me v rakhna pap h


Kya seva krna bas us naujawan ka kaam h
Aur paise apne tijori me daalna bas hamara kaam h.. 

Kisaan ki sabji sahi daamo me nai biki to anudaan chahiye 
Lekin fir v logo ko sabji me kam daam chahiye 
Himmat h to dono ko tu hi khus kr k dikha 

Jo asambhav h uske liye hm mar rhe h
Jo sambhav h usko bina soche apno se lad rhe h.. 

Deshbhakti kya h jara khud dil se pucho 
Kahi kisi kitaab se achha apne aap se pucho

Tum khud itna bol sakte ho is par 
Ki khud ki kitaab likh sakte ho is par.

Mujhe batane ki jarurat nai 
Aap sab ek purn sansaar h 
Josh laa kr bas itna keh do
Ab hm sab taiyaar h ...


With a new josh... Happy Republic day.. 


तु चल झपट, पलट नहीं TU CHAL JHAPAT PALAT NAHI

तु चल झपट, पलट नहीं

तु चल झपट, पलट नहीं 
मन्जर तेरे साथ है 

न कर कपट लपट ले बस 
जो पास सारी रात है
बिता हुआ तु भुल जा
अग्रपथ बस तु याद रख

तु चल झपट पलट नहीं 
कायनात तेरे साथ है

तु अग्निअह्न्कार है 
तु चोट का प्रहार है 
दुश्मनो से क्या है डर
जब दुश्मनो का यार है 
कृपाण सा तु धार है 
झान्क कर तु देख जरा 
तु सर्वशक्तिशाली है 

तु चल झपट पलट नहीं 
दिन दिवस तेरे साथ है 

तु हार मान क्यों रहा
एक दिन और तु देख ले 
है रोक जो तुझे रहा 
दर्पण जरा तु देख ले
श्रम पर तु ध्यान दे
मेहनत पर विश्वास रख
चलना प्रारंभ कर 
और कर बस यही शपथ

तु चल झपट पलट नहीं 
ब्रह्म तेरे साथ है

अभागी कुंभकर्ण ABHAGI KUMBHKARN

         

     अभागी कुंभकर्ण.... 


शक्तिशाली, प्रभाव्शाली, विवेकपूर्ण था वो,
धर्म अधर्म में फ़सा अभाग्यशाली कुम्भकर्ण था वो,
मिली बचपन में सजा, जन्मजात विशाल था वो, 
जो इसे बर्बाद कर गया, भुख ही काल था वो 

हैरान परेशान क्या करे एक युक्ति खोज लाया,
परमब्रह्म को खुश करने तपस्या पर बैठ आया,
तपस्या हुई पुरी ब्रह्म खुश हो कर आ गये,
जिसे देना था अमृत उसे जहर दे कर आ गये,

इन्द्र की अराधना पर सरस्वती मुख पर बैठ गयी, 
इन्द्रावास की जगह निन्द्रावास कहला आयी,
अपने वाक्य बदलने से पहले प्रभु ने तथास्तु कह डाला,
नियम धर्म सब तोड़ कर मृत्युदन्ड सा दे डाला, 

रावण सब कुछ देख रहा कर विनती उसने खुब मनाया,
मृत्युदन्ड सा वरदान में एक दिन जीवित का जोड़ आया,
वो शैय्या पर लेट गया दिन दिवस फ़िर बित गया,
क्या हो रहा था उसे न कुछ ज्ञान था,
क्या होना था और क्या परिणाम था,

अतिक्रुर निर्दायी रावण अब सिते उठा लाया,
उसने अपने हाथों अपनी मृत्यु बुला लाया,
 अब जब हार गया वो सब से उसे और कुछ न सुझा,
अपने भाइ कुम्भकर्ण को उसने राम से बलशाली बुझा,

जा उठा ला उसे कह कि अब वक्त आ गया ,
उसके भाई के पीछे कोई वानर काल आ गया, 
सेना ने बतलया कैसे रावण सिते हर लाया,,
कैसे उसने लन्का पर संकट के बादल ले आया,
उठते ही उसने गुस्से में सबको हैरान कर डाला,
कौन है वो वानर सेना जिसने लन्का को बैचैन कर डाला,

रावण को प्रणाम कहा फिर उसे खुब समझाया,
वो कोइ और नहीं, तीनों लोक के नारायण है,
न राग, न द्वेश वो गंगा सा पावन है, 
कौन सी आपदा आन पड़ी जो नारायणी हर लाये,
अपने अभिमान वजह से धर्म से मुख मोड. आये,

चूप हो जा कुम्भकर्ण अगर ऐसे ही पाठ पढाना है 

तो जा सो जा चला जा पहले के समान,
नहीं तो तु भी चला जा उस राम के पास 
उस निर्लज विमिषन के समान,

भाई वो नहीं जो धर्म का पाठ पढाये,

भाई वो नहीं जो सच जान कर मुख मोड़ जाये,
भाई वो है जो समस्या में आगे हो जाये, 
भाई वो है जो भाई के लिये जान भी दे जाये 
मैने सपने में भी ये सब कुछ सोचा न था,
मुझे बस अपनी सुर्पनखा का बदला लेना था,

तो उस समय क्यों मौन थे क्यों नहीं बताया,

जैसा आज किया है आपने वैसा क्यों नहीं उठाया,
अब जब तक मैं जीवित हूँ 
आपको छुने की किसी की साहस नहीं,
और जो मुझे कोइ पराजित करदे
ऐसा किसी की ताकत नहीं,

युध्द भुमि पर जा कर हाहाकार मचा डाली,

पल भर में वानर सेना आधी कर डाली,
अब विभिषन खड़ा है सामने नि:हत्था हाथ जोड़े,
और प्रणाम भ्राता कहकर उसका ध्यान तोड़े, 

ऐसी अग्नि में खड़ा हूँ कि जल भी रहा हूँ ,

अन्त हो नहीं रहा और मर भी रहा हूँ, 
कैसे जवाब दुँ मैं तुम्हे की मेरी अवस्था क्या है,
सर्वज्ञानी विभिषण तु बता अब धर्म क्या है?



भ्राता, जो सच है, सनातन है, कर्तव्य है,
जो अपरिवर्तनीय है, जो परम है वो धर्म है,
इसमें न आस्था होती है, न अवस्था होती है,
ये धर्म है, और सिर्फ़ धर्म है,



कुम्भकर्ण के अश्रु उनके गालों की ओर बढ़ गये,
कुछ छण विभिषण को देख मौन हो गये,
धर्म अधर्म उस अवस्था पर निर्भर करती है 
जहाँ तुम खड़े हो,
धर्म वो है जहाँ मैं खड़ा हूँ ,
धर्म वो है जहाँ तुम खड़े हो,

तुम धर्म हो, तुम सत्य हो, तुम राम भी, 
तुम भाई हो, प्रिय मित्र हो और अब शत्रु भी,
बता मुझसे बड़ा कोई अभागी होगा क्या,
हो भाई के लिये भाई के खिलाफ़
उसका कभी उद्धार होगा क्या,

ऐसे खड़े मत रह पगले हमारी क्रोध की शैली बढ़ रही है,
रोक रहा हूँ अपने अश्रु को वो रुक नहीं रही है, 
तु चला जा विभिषण मैं तुम पर वार नहीं कर सकता,
सर्वकूल मिटेगा हमारा मैं तुझ पर वार नहीं कर सकता,

जैसे होती है अन्तिम संस्कार ब्राह्म्णो की
वैसे ही हमारा भी करना,
एक तुम ही शेष रहोगे कूल में,
अपने भ्राता रावण की आज्ञा है प्रिय
मुझे माफ़ करना,

और सुन, जा कह दे हनुमान से, परशुराम से,
आ रहा हूँ मैं,  मेरा अन्त कर दे
इस आभागी दुनिया से मुझे मुक्त कर दे..... 



- Your Ashish Pathak








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