Tuesday, January 29, 2019

गुजरा वक्त ( gujra wakt)



 गुजरा वक्त.. 

उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो
कुछ ख्वाहिशे हुई पुरी कुछ अधुरा रह गया हो
उम्मीदे मिली या बिखर गया हो
सांसे चले या सम्भल गया हो
उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो

सर्दी आ कर चली गयी या बर्सात होने को हो
पुराने दोस्त मिले या बिछ्ड़ गया हो 
लगता है जैसे सब कुछ नया हो
होना वही है जो किस्मत में लिखा गया हो
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

छोटे थे तो बड़े होने का दिल करता था
चाहे गम मिली या अचानक खुशियाँ मिली हो
समंदर किनारे बैठ यारों के साथ गप्पे लडाना हो
ये ख्वाहिश अभी भी दिल के किसी किनारे में पड़े है
चाहे कितना भी बड़ा हो गया हो
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

चाय की वो चुस्की या वो कुरकुरी बिस्कुट का रंग 
किसी खुली जगह मे किसी का साथ हो या ना हो
बदलते दुनिया की बात कर के वक्त बदल गया हो
जो पहले रोने के साथ होते थे
आज खुशी पर भी शरीक न होता हो
आकर हाथ मिलाये या सीने से लिपट गया हो 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो

जब किताब का बल्ला और कागज़ की गेन्द होता था
चाहे क्लास खाली हो या पुरा भरा हुआ हो
भीड़ में बेसुरो का साथ होता था
चाहे वो घर हो या रोड पर चलते कदम हो
याद नहीं करता मैं ये सब और करू भी क्यों 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

नानी की या दादी की पुरानी प्यारी कहानियाँ हो
प्यार से कोर भर कर खिलाने वाली वो माँ का हाथ हो
हर चीज पर भाई या पापा की डान्ट हो
और वो छिप कर पैसे देने वाले वो रिस्तेदार हो
जिन्दगी अब बनी हो या निखर गया हो 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो

कच्चे आम हो या अमरुद पर नमक का वो स्वाद हो
खेल छुप्पन छुपाई हो या कबड्डी का वो लड़ाई हो
अन्धेरे में आंख बन्द करके किसी को खोजना हो
या खाना बनने से पहले प्लेट लेकर बजाना हो
अपनी छोड़ भाई की पुड़ीया चुराना हो
बातों को मिलाना या फिर पलट गया हो 
अब उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 

स्कुल का वो ड्रेस कोड हो या 26 जनवरी की परेड हो
क्लास छोड़ कर बाहर घुमना जब कोई  प्रोग्राम हो
इतिहास का वो निन्द हो या देशभक्ति गीत हो
मेज पर अपना नाम हो या हर साल नये नये किताब हो 
याद आ कर मुस्कुराना हो या सिहर गया हो 
उस वक्त की क्या बात करना जो गुजर गया हो 




No comments:

Post a Comment

गाँव ही मेरा शहर लगता है।

    (गाँव ही मेरा शहर लगता है।) ○○○○○○ मुझे क्यूं सफेद कागजों में भी कोई खबर लगता है  बड़े इमारतों का शुक्रिया गाँव ही मे...