Thursday, August 22, 2019

Bachpan me hi rehna tha बचपन में ही रहना था


Bachpan me hi rehna tha 

बुझते दिये को रौशन करना था
मुझे बचपन में ही रहना था

वो हकिमों सा इलाज करते रहे
बात यह थी कि मुझे बीमार रहना था

ऊचाईयों के सपने दिखाने लगे सारे 
मुझे उसी उंचाई में पतंग उडाना था 

दुनिया की सफर करके क्या कर लेता आखिर
बनायी कागज की नाव पर सवार होना था 

न साइकिल न खिलौने न दौलत चाहिये थी
मुझे बस प्यारी माँ के आँचल में रोना था

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