एस. एम. एस. (SMS)
मोहब्बत एक ऐसा शब्द जिसे देख कोइ भी मुस्कुरा जाये..
काफ़ी दिनो बाते हुई
आज मुलाकात का दिन था
बाते हुई थी bus stand मे आने कि क्योंकि
आज एक सफ़र का दिन था
कहाँ जाना है कैसे जाना है न था कोइ राह
जा पहुंचा दो घंटे पहले इतना था उत्साह
फिर बजी फोन की घंटी, मुझपर ज्यादा गुस्सा न करना
निकल रही हूँ घर से थोड़ा इन्तजार करना
मैं करता क्यों गुस्सा, जिन्दगी तो पहले से अन्धेर थी
आज कह दूँगा दिल कि सारी बाते बस मिलने की देर थी
अचानक मेरा नाम गुंजा उसके मधुर आवाज से
बिना देखे कायल हो गया बस उसके पुकार से
वैसा जैसे फ़िल्मो मे होता है
जैसे सब रुक जाता है
जैसे गाने गाया गाता है
जैसे बिन मौसम बरसात होता है.
. ये सब कुछ वो दो पल मे हो चुका है
चले आ रही है मेरी तरफ़ वो धीरे धीरे
काश थम जाता वो पल धीरे धीरे
चलो कह कर वो बस में बैठ गयी
मेरा चैन होश सब ले कर बैठ गयी
पहली बार बैठा था कोइ साथ मेरे
पहली बार वो पांच पतली उंगलिया थामे था हाथ मेरे
तिरछी नजर से बार बार उसे देखा था हमने
उसके नज़रो से खुद को बचाया था हमने
वो साहस भरी जिन्दगी में वो लय कैसा था
कहने आया था तो सबकुछ ,पर वो डर कैसा था
हटाकर अपनी नजरे आगे की टी. वी पर दे डाली
फ़िर बित गये पल आन्खे दिखाकर गुस्से में वो बोली
फ़िल्म देखने आये हो तो अकेले आ जाते
और देखना था साथ में तो PVR ले जाते
मुझको बिना देखे उधर देखे जा रहे हो
लगता है वो फ़िल्म मुझसे ज्यादा खुबसुरत है
तभी तो मुझसे आंखे चुराये जा रहे हो
अब कैसे बताऊ मैं उसे कि मेरा हाल क्या था
नज़रे तो थी आगे, दिमाग कहिं और था
फ़िर अब हुई बात शुरु वो सब बताने लगी
कैसे वो बचपन में बड़ी प्यारी थी
माँ बाबा दादी सबकी दुलारी थी
कैसे उसने बचपन में उसने सबको तन्ग किया
बड़े होकर अपने कामों से सबको दन्ग किया
न कोइ भाई न कोइ कमाने कमाने वाला
क्या करना है जिन्दगी में ये बताने वाला
जिंदगी कुछ खास नहीं थी बस भोला भाला था
उसने छोटे उम्र में ही अपने घर को सम्भाला था
कहकर उसने चुप्पी दे डाली अब तु बता,
क्या कहना था, बता कुछ अपने बारे मे...अब तु बता
दुनिया भर की बाते बोलकर सोच रहा था यह कहने की
आज तक कोइ मिला नहीं तेरे जैसा
पर हिम्मत न हुई ये कहने की
अब मन्जिल मेरी कुछ ही दुर था,
कैसे कहुँ क्या कहुँ मन में यही सुरुर था,
अन्त में मुस्कुराते हाथ थामें कह डाला,
दिल में भरी थी बात, जो कहना था सदियों से
बड़ी हिम्मत से कह डाला
नजरअन्दाज कर उसने ऐसी बात बोली थी,
फ़िर से बचपन की वो बातें,
ये हुआ वो हुआ जैसे बहुत वो भोली थी
गुस्से में हमने भी उनसे नजर फ़ेरा था
जब कह दिया उसने, कि कोइ था मेरा भी
जो सिर्फ और सिर्फ मेरा था :(
अब उसके साथ नहीं मैं न ही कुछ बताना है
रो धो कर कि गलती मेरी नहीं उसकी है
मुझे ये नहीं जताना है
धक्के से फिर गाड़ी रुकी मैं मुस्कुरा कर निकल गया
थोड़े देर में ही महसुस हो रहा था जैसे
हाथों में थामें वो रेत फिसल गया
किससे कहता ये सब बाते.. कैसी है ये जिन्दगी
चलते चलते बैग में रखी फिर फोन बजी
वो राहत का एक SMS था
तुम बहुत अच्छे हो बस ये SMS था
जा रहे थे तो मुड़ कर देखा भी नहीं
मैं इन्तजार कर रही थी मुड़ने का ये SMS था
कैसे साथ बिताया वो पल उसे अच्छा लगा था
थामे वो हाथ अच्छा लगा था, था जिन्दगी में कोई और
सदियों बाद आज फिर कोई अच्छा लगा था..
निचे कहिं कोने मे एक और SMS था......
था प्यार का इजहार बस यही SMS था.... :)