"जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा"
किस्से बहुत याद आयी होगी तुम्हें भी
जब हम सो रहे थे तुम सो रहे थे
तब जागा था कोइ तेरे लिये
उस कुकर्म के बदले के लिये
जब आसमान तेरा गरजा होगा
रात में जब इन्द्रवज्र चमका होगा
गलतियों का एहसास हुआ होगा तुम्हें भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा
वो बम के गोले नहीं हमारा क्रोध था
जो कई दिनों से छुपा अन्दर मदहोश था
आँखो से बहा वो रक्त्, उस वीर माँ की तडप
पीछे लगी खन्जर का प्रतिकार था
पापियो को ये यकिन ना था की ऐसा हमारा बदला होगा
गुमनाम रात का खौफ हुआ होगा तुम्हे भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा
लगायी आग जो तुमने हर किसी के दिल में
हमारी जिम्मेदारीयो का एहसास दिला दिया
छुप कर बैठी, दुबक कर बैठी
व्यस्त और सोयी देशभक्ति जगा दिया
अधर्म में धर्म के जीत का पैगाम है
जले थे और जलते रहोगे
ये उस आग का परिणाम है
सोच तेरे ही लगाये आग मे तेरा मुल्क कैसा भड़का होगा
ये सत्य कड़वा लगा होगा तुम्हें भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा
हम नामर्द नहीं है तेरी तरह, इतना होने के बाद भी
हम में इन्सानियत अभी बचा है
कई बेकसुर मासुम और पाक लोग है तेरे मुल्क में भी
इसलिए तेरा पाकिस्तान अभी बचा है
वैसे तुमने जो काम किया है
तुझे बर्बाद करना था उस किस्से से
बस वहाँ उस माँ की भी ममता याद आ गयी
वरना मिटा देते मानचित्र के हिस्से से
कल्पना कर तेरा बचाया आतंकी कैसा तडपा होगा
ये बात अब तक समझ आ गयी होगी तुम्हें भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा..
जय हिंद जय भारत
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