Tuesday, February 26, 2019

Air Surgical strike poem हिन्दुस्तान का बदला



"जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा" 

किस्से बहुत याद आयी होगी तुम्हें भी
जब हम सो रहे थे तुम सो रहे थे
तब जागा था कोइ तेरे लिये 
उस कुकर्म के बदले के लिये 
जब आसमान तेरा गरजा होगा
रात में जब इन्द्रवज्र चमका होगा
गलतियों का एहसास हुआ होगा तुम्हें भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा

वो बम के गोले नहीं हमारा क्रोध था
जो कई दिनों से छुपा अन्दर मदहोश था
आँखो से बहा वो रक्त्, उस वीर माँ की तडप 
पीछे लगी खन्जर का प्रतिकार था
पापियो को ये यकिन ना था की ऐसा हमारा बदला होगा
गुमनाम रात का खौफ हुआ होगा तुम्हे भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा

लगायी आग जो तुमने हर किसी के दिल में 
हमारी जिम्मेदारीयो का एहसास दिला दिया
छुप कर बैठी, दुबक कर बैठी
व्यस्त और सोयी देशभक्ति जगा दिया
अधर्म में धर्म के जीत का पैगाम है 
जले थे और जलते रहोगे
ये उस आग का परिणाम है 
सोच तेरे ही लगाये आग मे तेरा मुल्क कैसा भड़का होगा
ये सत्य कड़वा लगा होगा तुम्हें भी
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा

हम नामर्द नहीं है तेरी तरह, इतना होने के बाद भी
हम में इन्सानियत अभी बचा है 
कई बेकसुर मासुम और पाक लोग है तेरे मुल्क में भी
इसलिए तेरा पाकिस्तान अभी बचा है 
वैसे तुमने जो काम किया है 
तुझे बर्बाद करना था उस किस्से से
बस वहाँ उस माँ की भी ममता याद आ गयी
वरना मिटा देते मानचित्र के हिस्से से
कल्पना कर तेरा बचाया आतंकी कैसा तडपा होगा 
ये बात अब तक समझ आ गयी होगी तुम्हें भी 
जब हिन्दुस्तान हमारा तुम पर बरसा होगा..

जय हिंद जय भारत 



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Monday, February 25, 2019


"Phir se "

"फिर से "



Aaj yaad aa gyi tu phir se 
आज याद आ गयी तु फिर से
Jab ghane badal the sar par 
जब घने बादल थे सर पर 
Nami thi thodi aur suhana mausam tha phir se
नमी थी थोड़ी और सुहाना मौसम था फिर से
Itezar tha sabhi ko us barish ka 
इंतजार था सभी को उस बारिश का
Aur mujhe bhingne ka phir se
और मुझे भिन्गने का फिर से

Garaz garaz bataye ja raha tha baadal
गरज गरज बताये जा रहा था बादल
Ki tu aane wali hai aur satane wali h
कि तु आने वाली है और सताने वाली है 
Soch rha tha wahi purani baatein
सोच रहा था वही पुरानी बातें 
Aur andar se hase jaa rha tha phir se
और अन्दर से हंसे जा रहा था फिर से

Mitti ki saundhi khusboo
मिट्टी की सौन्धि खुशबू 
Aur madhyam sa pawan
और मध्यम सा पवन
Aahte tere aane ki, aur 
आहटे तेरे आने की, और
Mera akelapan bade dino baad
मेरा अकेलापन बड़े दिनों बाद
Sataye ja raha tha phir se
सताये जा रहा था फिर से 

Teri hatho ki vo narmi
तेरी हाथो की वो नरमी
Teri baato ka mithapan
तेरी बातों का मीठापन
hasnuma vo chehra
हंसनुमा वो चेहरा
Sarartein aur awarapan
सरारते और अवारापन
Bada betaab kar rha tha phir se
बड़ा बेताब कर रहा था फिर से


sukun teri bahon ka
सुकुन तेरी बाँहो का
Angdaayian teri kalaiyon ka
अन्गड़ाइयां तेरी कलाईयो का
Late teri julfo ka
लटे तेरी जुल्फ़ो का
kajal teri palko ka
काजल तेरी पलको का
Badi naakhun aur tere gaal
बड़ी नाखुन और तेरे गाल
Adayein, lachak hayee teri chaal
अदा, लचक हाय तेरी चाल
Aaj bulaye ja rha tha phir se
आज बुलाये जा रहा था फिर से

Raaz teri jaane ka 
राज तेरी जाने का
Tujhe khone ka nahi hai gam
तुझे खोने का नहीं है गम
Na koi aanshu na teri yaad 
ना कोइ आन्सु ना तेरी याद
Khus hu  nahi koi adhurapan
खुश हूँ नहीं कोइ अधुरापन
Apne dil ko ek baar aur
अपने दिल को एक बार और
Jhuth bataye ja raha tha phir se
झूठ बताये जा रहा था फिर से

Koi irada to nahi tha na man aur na wajah 
कोइ इरादा तो नहीं था न मन और न वजह
Bas un hi 
बस युं ही
Aaj yaad aa gyi teri phir se
आज याद आ गयी तेरी फिर से





Foll




Tuesday, February 19, 2019

insaaniyat



Insaaniyat 

Raat kaali thi kaala tha manzar 
Kaala tha din aur kaala bawandar 
Bujh gye diye par fir v roshan kar gya vo
Marte marte anant karz de gya vo 

Kon chukayega karz aur chukayega kaise
Kaali dharm ki aandhi hai saamne
Kaali rajneeti ki roti hai saamne
Kaun suljhayega paheli ko suljhayega kaise 

""Hindu muslim sikh ishayi
Aapas me hum bhai bhai""
Padh padh bita tha bachpan hamara
Bachpan khoya koi baat nai 
Padhi baate bhul gya desh hamara

Maa ro rahi h pita abhi sambhla bhi nahi h 
Vo crore mombattiyan abhi pighli v nahi h 
Jai hind bol aaya vo saheed ka beta
Paalti maar dhang se baitha bhi nai h 
Ki apne rang dikha diye humne
Jimmedari jab khud ki aayi 
To hath jawano ko thama diye humne

kosis kr rha tha samjhane ki
Dharm dharm mt kar
Bhul gya tu vo 200 saal angrejo ka atyachaar 
Ab to hindu muslim mt kar 
Kaha usne ki tujhe akal nahi, apne hi dharm k khilaf ho
Jisne pala jisne sikhaya sab kuch, usi imaan k khilaaf ho 

ye baar baar mere dil ko cheer gya 
Kya main galat hu mera dil mujhse bol gya 
Dekhne k liye do aankho ki jarurat  h
Najariya k liye ek aankh ki jarurat h
Mujhe garv h khud par ki chah kar v
Meri dono aankh nahi khulti
Aur mujhe abhimaan hai is dil ki
Jo lakh baar kahne par v ye dharm me nai ghulti


Holi diwali eid christmas guru govind singh jayanti..  
Bas ek chhota sa sawal h.. Puchta hu
Ye sab jo manaye vo dharm khojta hu. 



Yaad karo un veero ko
Vo bediya aur janjiro ko 
Ab to soch badal lo yaaro
Kitne maare gye desh k pyaro
Kuch to alag kar kuch to naya hal nikaal
Kaleje ko faad aur insaaniyat bahar nikaal 

Saturday, February 2, 2019

कब तक?

बढ़ाते चलो कदम्, कब तक? 
 मंजिल मिल नहीं जाती तब तक 
जमाना बदलेगा समय बदलेगा
मगर भुलना नहीं है
साथ छुटेगा नये लोग मिलेंगे 
मगर रुकना नहीं है, कब तक? 
मंजिल मिल नहीं जाती तब तक

यादों का बवन्डर मिलेगा
रिश्तो का समंदर मिलेगा
मगर उलझना नहीं है 
कुछ नये मिलेंगे कुछ पुराने मिलेंगे 
उन राहों को समझना है
और समझाना है, कब तक?
मंजिल मिल नहीं जाती तब तक

तुम भी बिछ्डोगे, तुम भी हारोगे
कहिं ज्यादा तकलीफ होगी
आँसु बहेंगे खुन खौलेगा
उर्जा भी नष्ट होगी
मगर हार मानना नहीं है, कब तक? 
 मंजिल मिल नहीं जाती तब तक 


गाँव ही मेरा शहर लगता है।

    (गाँव ही मेरा शहर लगता है।) ○○○○○○ मुझे क्यूं सफेद कागजों में भी कोई खबर लगता है  बड़े इमारतों का शुक्रिया गाँव ही मे...