Monday, July 29, 2019

मिट्टी का खिलौना a sad toy





मिट्टी का खिलौना

मैं मिट्टी का खिलौना हूँ 
जो बाहर से सख्त है 
लेकिन भीतर से कमजोर हूँ 
जरा याद रखना दर्द मुझे भी होता है 

जो भी आये मुझसे खेल जाये
दिल भरने पर खुले में छोड़ आये
अब तुझसे मिलने का खौफ होता है 
जरा याद रखना दर्द मुझे भी होता है 

ठीक उस खिलौने की तरह बेबस और बेकार हुँ
सच सामने है मगर झूठ बोलने को लाचार हुँ 
खुद मिट्टी हुँ अब तूझे इसमे मिलाने का एहसास होता है 
जरा याद रखना दर्द मुझे व होता है 

मत सजाओ न निखारो मुझे बार बार
मै अकेला ही ठीक हुँ, खुश हुँ 
खुशी देने के नाम पर हक छिन लेते हो बार बार
तेरे इन हरकतो से मेर खुन खौलता है 
जरा याद रखना दर्द मुझे भी होता है


Saturday, July 6, 2019

tujhe yaad karne me

TUJHE YAAD KARNE ME
तूझे याद करने में


"तेरे इश्क की चाहत कुछ इस तरह रही,
कि सबको भुल गया तूझे याद करने में। 

आंखो मे सन्जोये थे कई सारे सपनें,
उनको आंसुओ मे बहा गया तूझे याद करने में। 

कहना बहोत कुछ था तुमसे जब फासले बढ़ गये,
बस जुबां  रूठ गयी तूझे याद करने में। 

जिन्दगी जीने का बेसुमार शौक था मुझे,
अब यूँ ही कट रही है तूझे याद करने में। 

शब्दों को सहारा बना लिया है उस लठ की तरह,
 और बेवफाई लिख न पाया तूझे याद करने में। 

बारिशों की उन बुंदो मे तेरी झलक देखता हूँ,
बस भींगना भुल गया तूझे याद करने मे।"

गाँव ही मेरा शहर लगता है।

    (गाँव ही मेरा शहर लगता है।) ○○○○○○ मुझे क्यूं सफेद कागजों में भी कोई खबर लगता है  बड़े इमारतों का शुक्रिया गाँव ही मे...